शाम की झील में
तैरता दिन,
कुतरती हैं
चाँदनी की मछलियाँ
रात की चादर,
आहट सुनकर
चिडियों की
छुप जाती है
झील की तलहटी में,
बादलों की शीशी
से रिसते
सूरज की पहरेदारी में।
तैरता दिन,
कुतरती हैं
चाँदनी की मछलियाँ
रात की चादर,
आहट सुनकर
चिडियों की
छुप जाती है
झील की तलहटी में,
बादलों की शीशी
से रिसते
सूरज की पहरेदारी में।
----////---
#श्वेता सिन्हा
३ अगस्त २०१९
३ अगस्त २०१९