मंगलवार, 3 अगस्त 2021

भोर


शाम की झील में
तैरता दिन,
कुतरती हैं
चाँदनी की मछलियाँ
रात की चादर,
आहट सुनकर
चिडियों की
छुप जाती है 
झील की तलहटी में,
बादलों की शीशी 
से रिसते
सूरज की पहरेदारी में।
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#श्वेता सिन्हा
३ अगस्त २०१९