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गुरुवार, 5 अगस्त 2021

मनुष्य तुमने...

बारिश के मौसम में बारिश न हो तो 
शिकायत करते हैं 
सूखे से बेहाल नदियों के ओठ
बूँद-बूँद पानी को तरसते हैं
शहरों का तापमान बेहिसाब
पसीने में नहाये लू से तड़पते है
और ... जब.. 
चार घंटे की बारिश मूसलाधार
बहाने लगती है ज़िंदगी निर्ममता से
मैदान, पहाड़, झील, नदी एकाकार
लाल सैलाब मचाता  हाहाकार
पूछते हैं बादल,
धरा की छाती किलसती है
मनुष्य तुमने अपने घर सुंदर बनाने 
के लिए जीवनदायिनी
 बगिया का
ये क्या हाल बना डाला...?
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#श्वेता सिन्हा
५ अगस्त २०२१