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रविवार, 1 अगस्त 2021

दृष्टिकोण



पूनम के चाँद को
आगोश में समेटने के लिए
बौराये ज्वार-भाटे की अनदेखी कर 
मछलियाँ पकड़ने के लिए
लहरों से टकराना
साहस है कि मूर्खता...?
पगलाई लहरों  के
किनारे लंगर डालकर
भोर की प्रतीक्षा करना
भीरुता है या बुद्धिमत्ता...?
परिभाषा गढ़ना और
परिभाषित करना,
वैचारिक स्तर और
दृष्टिकोण पर
निर्भर करता है।

#श्वेता सिन्हा