सिहराती पल-पल
ठंडी होती छत,
मौन रात,
पूरा चाँद,
पूरी रात
और ज़ेहन में तुम....
अनगिनत अनकही बातें
लबों पे ही सूख जाते
दिनभर दस्तक टोहती
थकी-सी उनींदी
तुम्हारे एहसास की
नर्म रेशमी झालर
आँखों के कोर पर झूलती
आकुल मन पर
चाँदनी फाहे रखती
चाँद से टूटकर
छिटके मेरे सिरहाने
जागे मेरे सपने
और तुम....
ठंडी होती छत,
मौन रात,
पूरा चाँद,
पूरी रात
और ज़ेहन में तुम....
अनगिनत अनकही बातें
लबों पे ही सूख जाते
दिनभर दस्तक टोहती
थकी-सी उनींदी
तुम्हारे एहसास की
नर्म रेशमी झालर
आँखों के कोर पर झूलती
आकुल मन पर
चाँदनी फाहे रखती
चाँद से टूटकर
छिटके मेरे सिरहाने
जागे मेरे सपने
और तुम....
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-श्वेता
-श्वेता